अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप की पार्टी के 2 सांसदों पर इंसाइडर ट्रेडिंग से करोड़ों रुपए कमाने का आरोप

 वाशिंगटन 
वाशिंगटन डीसी. चीन से निकलकर भारत समेत अमेरिका, यूरोप, इटली, यूनाइट किंगडम समेत दुनिया के कई देशों में ढाई लाख से ज्यादा को बीमार और 10 हजार से ज्यादा की मौत का कारण बने कोरोना वायरस बीमारी ने दुनिया भर की सरकार और शेयर बाजार को हिला रखा है. न्यूयॉर्क से लेकर मुंबई तक के स्टॉक एक्सचेंज लगातार गिर रहे हैं और शेयर का भाव टूट रहा है लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के दो सांसदों केली लोफलर और रिचर्ड बर ने कोरोना के असर पर सरकारी ब्रीफिंग में शामिल होने के बाद कोरोना के कारण शेयर बाजार गिरने से पहले करोड़ों रुपए मूल्य के शेयर बेचे और खरीदे. 


केली लोफलर ने बतौर सांसद कोरोना वायरस से पैदा हो रहे हालात पर सरकार से मिली ब्रीफिंग के बाद करोड़ों रुपए मूल्य के शेयर बेचे या उन शेयरों में निवेश किया जिनका भाव  COVID 19 के कारण बढ़ने की संभावना थी. वहीं सीनेट के इंटेलिजेंस कमिटी के चीफ सीनेटर रिचर्ड बर जो लगातार खुफिया कमिटी चीफ होने के नाते कोरोना वायरस पर सरकारी अधिकारियों से अपडेट ले रहे थे, उन्होंने भी 17 लाख डॉलर तक के शेयर बेचे. शेयर बाजार में इसे इनसाइड ट्रेडिंग कहते हैं यानी बाजार पर होने वाले संभावित असर की जिनको उनके पद की वजह से भनक हो और अंदर की खबर का इस्तेमाल वो निजी फायदे के लिए करें.
 
जॉर्जिया से हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव की सदस्य सीनेटर केली लोफलर का तो केस और भी मजेदार है. केली लोफलर के पति जेफ्री स्प्रेचर तो न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज के चेयरमैन भी हैं और पत्नी लोफलर के साथ-साथ उन्होंने भी शेयर बेचे और खरीदे. दोनों पति-पत्नी न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज की ऑपरेटर कंपनी इंटर कंटीनेंटल एक्सचेंज में 50 करोड़ डॉलर से ज्यादा का शेयर रखते हैं.
 
24 जनवरी को लोफलर सीनेट हेल्थ कमिटी की ब्रीफिंग में शामिल हुई थीं जिसमें कोरोना वायरस के खतरे और असर पर सासंदों को बताया गया था. लोफलर ने इसके बाद ही शेयर बेचना शुरू कर दिया और साइट्रिक्स नाम की एक ऐसी कंपनी में शेयर खरीदा जो टेलिवर्किंग सॉफ्टवेयर बनाती है और जिस कंपनी का शेयर कोरोना के कारण बढ़ने का अनुमान था. लोफलर ने जिन कंपनियों के शेयर बेचे उनके भाव आज बेचने की तारखी से आधा से भी ज्यादा गिर चुके हैं. और मजेदार ये कि लोफलर 28 फरवरी को भी ट्वीटर पर अमेरिका से कह रही थीं कि डेमोक्रेटिक पार्टी वाले कोरोना पर देश को बरगला रहे हैं. 
 
दूसरे अमेरिकी सांसद रिचर्ड बर नॉर्थ कैरोलिना से सीनेटर हैं और सीनेट की ताकतवर खुफिया कमिटी के चीफ हैं. इस कमिटी के चीफ के तौर पर उन्हें लगातार कोरोना पर डेली अपडेट मिल रहा था और उन्हें पता चल रहा था कि इसका देश के लोगों के साथ-साथ बाजार पर क्या असर हो सकता है. ऐसे में उन्होंने 13 फरवरी को 33 बार शेयर बेचे जिनका कुल अनुमानित मूल्य लगभग 17 लाख डॉलर है. ज्यादातर शेयर होटल और हॉस्पिटलिटी कंपनियों के थे जिनके भाव धड़ाम हो चुके हैं. उनके शेयर बेचने के बाद से शेयर बाजार भी 30 परसेंट नीचे गिर चुका है. सीनेटर रिचर्ड बर भी केली लोफलर की तरह अमेरिका के लोगों को भरोसा दिला रहे थे कि घबराने की कोई बात नहीं है.


वैसे रिचर्ड बर अमेरिका के अमीर सांसदों में शामिल नहीं हैं और  2018 में उनका नेट वर्थ ही 17 लाख डॉलर आंका गया था. जाहिर है कि शेयर नहीं बेचते तो बाकी अमेरिकियों और दूसरे देश के शेयर निवेशकों की तरह वो भी नुकसान में होते. रिचर्ड बर ने एक प्राइवेट वीआईपी मीटिंग में 27 फरवरी को कहा कि कोरोना बहुत बड़ा होने वाला है और कंपनियों को छंटनी करनी पड़ सकती है. रिचर्ड बर ने तो 2012 में अमेरिकी सांसदों और उनके स्टाफ के इनसाइडर ट्रेडिंग को बैन करने वाले बिल के विरोध में वोटिंग किया था और ऐसा करने वाले मात्र तीन सांसदों में से एक थे. 


अब विपक्षी सांसद लोग दोनों के पीछे पड़े हैं और पद का दुरुपयोग करके शेयर खरीदने-बेचने के लिए इस्तीफा मांग रहे हैं. रिचर्ड बर के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग हो रही है. रिचर्ड बर ने अमीर लोगों के एक क्लब में 27 फरवरी को अंदर की बात बताई थी कि हालात खराब होने वाला है और ये अमेरिका में 1918 की महामारी जैसा हो सकता है जबकि बाहर लोगों को बता रहे थे कि सब ठीक है और अमेरिकी सरकार लोगों पर कोई असर नहीं होने देगी.